Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का भारतीय हिन्दू परम्परा में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दू धर्म में शादी को एक जन्म का नहीं बल्कि 7 जन्मों का बंधन कहा जाता है। करवा चौथ का त्यौहार इसी बात को चरित्राथ करता है। सुहागनों के जीवन में इस त्यौहार का विशेष महत्व है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागनें हर साल व्रत रखती है। इस साल भी यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जायेगा। इस साल करवा चौथ का त्यौहार 1 नवंबर को मनाया जा रहा है। औरतें पूरा दिन बिना कुछ खाये पिए रहती है और शाम को चाँद के निकलने के बाद उसे अर्घ्य दे कर अपने व्रत को खोलती है।
करवा चौथ पर सास द्वारा अपनी बहुओं को सरगी दी जाती है। सरगी में श्रृंगार का सामान, फल, मिठाई दी जाती है। सरगी एक तरह से सुहाग की निशानी होती है जो हिन्दू परम्परा के अनुसार सास द्वारा बहु को दी जाती है। अगर किसी की सास न हो तो उसकी जगह पर जेठानी के जरिये भी यह रसम निभाई जाती है।
सुबह उठ कर सरगी का सेवन करना चाहिए। आमतौर पर इसे सुबह 4 या 5 बजे तक कर लेना चाहिए। सरगी के सेवन से ही व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।
करवा चौथ की कहानी भी बड़ी मज़ेदार है। कहानी में बताया गया है कि कैसे एक गलती से पति की मृत्यु हो जाती है और फिर उसकी पत्नी कैसे उसके प्राणों की रक्षा करती है।
बहुत समय पहले एक साहूकार के 7 पुत्र और 1 पुत्री थी। जो भाई बहन थे वह आपस में एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे। बहन का न करवा था। सातों भाई पहले अपनी बहिन को खाना खिलाते थे और उसके बाद खुद खाना खाते थे।
अपनी बहन की वह बड़ी धूमधाम से शादी भी करते है। शादी के बाद एक उनकी बहन अपने मायके आई हुई होती है। भाई लोग जब अपने काम से घर वापिस आते है तो अपनी बहन को बेहद व्याकुल देखते है। जब वह खाना खाने बैठते है तो अपनी बहन को भी खाने के लिए न्यौता देते है मगर वह मना कर देती है।
जब भाई पूछते है तो वह बताती है कि आज उसने व्रत रखा है और उसे पूरा दिन कुछ नहीं खाना है। अगर वह कुछ खायेगी तो उसका व्रत टूट जायेगा। अब उसे भूख लग रही है। उसकी यह हालत देख कर छोटे भाई से रहा नहीं जाता। दूर एक पेड़ के ऊपर वह दीपक जला कर रख देता है। वह दीपक ऐसे प्रतीत होता है जैसे चाँद निकल आया हो।
फिर वह अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है और वह अर्घ्य देकर खाना खा सकती है। यह सुनकर बहन बड़ी खुश होती है और फटफट से थाली सजा कर चाँद देखने चली जाती है। बहन चाँद को अर्घ्य देकर खाना खाने को उत्सुक रहती है और अपनी भाभीयों से भी अर्घ्य देने को कहती है। मगर उसकी भाभियाँ नहीं मानती।
फिर वह जैसे ही खाना खाने बैठती है और पहला निवाला अपने मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा निवाला डालते ही उसके मुँह में बाल आ जाता है। तीसरा निवाला डालते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार प्राप्त हो जाता है। उसकी भाभियाँ उसे सच्चाई बता देती है। करवा चौथ के व्रत के टूटने से उसके पति की मृत्यु हुई है।
सच्चाई जानने के बाद वह अपने पति को पुनर्जीव करवाने की ठान लेती है और एक वर्ष तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसके पति के इर्द गिर्द सुई नुमा घास उग आती है और वह उसे इक्क्ठा करती रहती है।
एक साल बाद फिर से करवा चौथ का व्रत आता है और वह पुरे श्रद्धा पूर्वक व्रत रखती है और अनुष्ठान करती है। शाम को सभी सुहागनों से वह अपने तरह सुहागन होने का वर मांगती है। अंत में करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति उठ कर बैठ जाता है। जैसे गणेश जी और माता करवा ने उसकी सुनी, वैसे ही वह सबकी सुने और सबका सुहाग जीवित रहे।
इस बार करवा चौथ की पूजा का सुबह मुहूर्त शाम 5.36 मिनट से शाम 6.54 मिनट तक का है। इस समय दौरान सुहागनें कहानी पढ़कर पूजा कर सकती है। शाम को चाँद के निकलने का समय तकरीबन 8.15 बजे के करीब का है। चाँद निकलने के बाद चाँद को अर्घ्य देकर औरतें अपना व्रत सम्पूर्ण कर सकती है।
Pingback: Ahoi Ashtami Mata Ki Vrat Katha in Hindi - The Hindi Trends