2023 में दीपावली कब की है, Diwali kyu manai jati hai

Diwali kyu manai jati hai 2023

2023 में दीपावली कब की है: Kab hai Diwali

कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला त्यौहार दीपावली भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम और हर्षोलास से मनाया जाता है। आमतौर पर यह त्यौहार प्रति वर्ष अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। इस साल यानि कि 2023 में दिवाली को 12 नवंबर को मनाया जायेगा। दीपावली के त्यौहार में घरों को दीपों से सजाया जाता है और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

दिवाली क्यों मनाई जाती है 2023

दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार इसलिए सबसे बड़ा है क्यूंकि इस दिन हिन्दुओं के आराध्य श्री राम चौदह वर्षों का वनवास काट कर देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य अयोध्या वापिस आये थे। अयोध्या वासी अपने आराध्य से बेहद प्रेम करते थे और उनके वापिस आने की ख़ुशी में उन्होंने पूरे राज्य को दीपमाला से जगमगा दिया और उनके दर्शन करके ख़ुशी मनाई।

रामजी का जन्म कब हुआ था?

 
मान्यताओं के अनुसार रामजी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। हर साल इस दिन रामनवमी का त्यौहार मनाया जाता है। आजकल के समय में यह त्यौहार मार्च के महीने मैं मनाया जाता है। श्री राम का जन्म इश्वाकु वंश में हुआ था। इस वंश के गुरु वशिष्ठ थे। रामजी के माता का नाम कौशल्या और पिता का नाम दशरथ था। दशरथ के अन्य तीन पुत्र थे। उनका नाम भरत, लक्ष्मण और शत्रुघन था। भरत की माता का नाम केकई था। लक्ष्मण और शत्रुघन की माता का सुमित्रा था। इन चारों पुत्रों में श्री राम ज्येष्ठ पुत्र थे।
 

रामजी का विवाह

 
श्री राम जी का विवाह देवी सीता से हुआ। उन्होंने सीता जी से विवाह करने के लिए शिव धनुष को भंग किया। इस धनुष को स्वयंवर में कोई भी राजकुमार भंग नहीं कर पाया और रामजी ने पलक झपकते ही उसे भंग कर दिया और जनकपुत्री सीता से विवाह रचाया। यह विवाह मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ। इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। रामजी ने केवल एक ही शादी की थी।

रामजी को 14 वर्ष का वनवास क्यों हुआ

वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार रामजी की सौतेली माँ केकई ने राम को वनवास भेजने की जिद की। उन्होंने राजा दशरथ से दो वरदान मांगे थे। पहला उनके पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाया जाये और दूसरा रामजी को 14 वर्षों तक के लिए वनवास भेज दिया जाये। राजा दशरथ वचन से बंधे हुए रानी को मना नहीं कर सकते थे और अपने प्रिय पुत्र को वनवास भी नहीं भेजना चाहते थे।  उनकी इस दुविधा को देखते हुए रामजी ने खुद ही अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए वनवास जाने का निर्णय लिया। रामजी ने ऐसा करके पुत्र धर्म का पालन किया। उनके साथ उनकी पत्नी देवी सीता और भाई लक्ष्मण भी साथ गए।

वैसे तो रानी केकई रामजी से बहुत प्यार और स्नेह करती थी मगर पुत्र मोह और मंथरा के बहकावे में आने की वजह से उन्होंने रामजी के लिए वनवास की मांग की।

माता सीता का अपहरण

रावण की बहन शूर्पणखा भी राक्षसी थी। एक दिन वन में भ्रमण करते हुए उसका दिल दोनों भाइयों पर आ गया। दोनों ही भाइयों ने विवाह करने में असमर्थता जताई जिससे क्रोधित हो कर शूर्पणखा ने माता सीता को मारने की कोशिश की।

इस पर लक्ष्मण जी को क्रोध आ गया और उन्होंने उसकी नाक काट दी। इस बात से वनवास के आखिरी वर्ष में राक्षज राज रावण ने साधु का भेष धरकर माता सीता का अपहरण कर लिया। उनकी खोज में रामजी और लक्ष्मण ने वानरों की सेना और अपने परम भगत हनुमान जी की सहायता से रावण की लंका पर आक्रमण कर दिया। उस युद्ध में रामजी ने लंकापति रावण का वध किया और वहाँ से माता सीता को छुड़वाया।

अयोध्या में वापसी

जिस समय माता सीता को रावण की कैद से छुड़वाया गया उस समय तक रामजी के 14 वर्षों का वनवास भी ख़त्म हो गया था। अंत में रामजी अपनी पत्नी और भाई के साथ अयोध्या वापिस आये और कई वर्षों तक अयोध्या पर राज किया।

अपने आराध्य को वापिस अपने बीच में देखकर अयोध्या वासी बेहद प्रसन्न हुए और उस दिन से हर साल भारत में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस तरह से यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर विजय की जीत के रूप में भी देखा जाता है।

सिख धर्म में दिवाली – बंदीछोड़ दिवस

दिवाली सिर्फ हिन्दू ही नहीं मनाते बल्कि यह दिन सिखों के लिए बेहद विशेष है। इस दिन को सिख समुदाय के लोग बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाते है। इस दिन सिखों के छठे गुरु, गुर हरगोबिंद जी ने 52 राजाओं को ग्वालियर के किले से मुग़ल बादशाह जहांगीर की कैद से मुक्त करवाया था। कहा जाता है कि 52 राजाओं को छुड़वा कर गुरु जी अमृतसर पहुंचे थे। इस मौके पुरे अमृतसर को दीप मालाओं से सजाया गया था।

दिवाली के महत्पूर्ण पांच दिवस

  • धनतेरस
  • नर्क चतुर्थी
  • दिवाली
  • गोवर्धन पूजा
  • भाई दूज

दिल से दिवाली

दिवाली का त्यौहार एक बहुत बड़ा त्यौहार है। इस दिन हिन्दू बहुत ही श्रद्धापुर्वक माता लक्ष्मी की पूजा करते है। इस दिन लोग घरों और अपने कार्यस्थलों को जाते है। बाद दिल से घरों और कार्यस्थलों की सफाई और फिर पूजा की जाती है। इस दिन बड़ी श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए और सबकी सुख की कामना करनी चाहिए।

इस लेख को विराम देते हुए आप सब लोगों को रामजी और माता लक्ष्मी की दया और कृपा की कामना करता हूँ।

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